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VAHNIVASINI NITYA

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 VAHNIVASINI NITYA Vahnivasini is the fifth Nitya (Eternity) in the cycle, her name meaning the dweller in fire. The Shaktis in the eight trikonas are Jvalini, Visphulingini, Mangala, Sumanohara, Kanaka, Ankita, Vishva and Vividha. In the 12 petals are the 12 signs of the Hindu (sidereal)zodiac. Her description in Tantraraja Tantra is as a beautiful woman, the color of gold, eight arms, dressed in yellow silk garments. She is the dweller in fire who devours the universe. Vikaasanupammaarg 9491368550

BHERUNDA NITYA

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Bherunda Nitya Bherunda, the fourth Nitya, has three eyes and eight arms, with her body the colour of molten gold, wearing beautiful ornaments on her hands, feet, arms and around her waist. She smiles sweetly with her hands holding noose, goad, shield, sword, mace, thunderbolt (vajra), bow and arrow Using her mantra destroys poison. Her yantra as being triangle, eight petals and bhupura. In the triangle are Shikhini, Nilakanthi and Raudri. Bherunda, according to this source, rules the Vetalas. The vidya mantra also differs. Vikaasanupammaarg 9491368550

Nityaklinna Nitya

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  Nityaklinna nitya Her name means Wet Nitya, or Always Wet. She is surrounded by 19 Shaktis, according to the Tantraraja, who are Kshobhini, Mohini, Lila, Nitya, Niranjana, Klinna, Kledini, Madanatura, Madadrava, Dravini, Vidhana, Madavila, Mangala, Manmatharta, Manashvini, Moha, Amoda, Manomayi, Maya, Manda and Manovati. The Nityaklinna herself, the same tantra says, is restless with desire, smeared with red sandal paste, wears red clothes, smiles, has a half moon on her head, and holds noose, goad, cup and makes the mudra dispelling fear. Here the yantra is described as trikona, eight petals, and earth square (bhupura). She bestows enjoyment and liberation and subdues the three worlds for one siddha (successful) in her vidya (mantra). Vikaasanupammaarg 9491368550

Bhagmalini Nitya

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Nitya Bhagamalini, whose name refers to the flowering yoni, is the second of the cycle of the waxing Moon and has a remarkable and very long vidya (mantra) She has six arms, three eyes, sits on a lotus and holds in her left hands a night water lily, a noose and a sugar cane bow and in her right a lotus, a goad and flowering arrows. Around her is a host of Shaktis all of whom look like her, according to the Tantrarajatantra. Her yantra is described differently, too, as triangle, hexagon, 16 petals, eight petals, then the bhupura or fence. Vikaasanupammaarg 9491368550

Kameshwari Nitya Devi

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  1) KAMESHWARI NITYA कामेश्वरी देवी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि हैं , जो उगते हुए सूर्य अथवा अंधेरे से रोशनी की ओर ले जाने वाली । यह इच्छाओं की देवी हैं , आपके गहनतम विचारों में छुपी हुई इच्छाओं को प्रगट करना और पूर्ति करना यही उसका कार्य हैं। इस देवी का तेज दस करोड़ सूर्य की तेज की भांति हैं। यह देवी दो तिथियो पर कमांड करती हैं , अमावस्या के बाद आने वाली प्रतिपदा और पूर्णिमा के बाद आने वाली प्रतिपदा तिथि पर । कामदेव को भस्म करने से पूर्व उसे अपने नेत्रों में सुरक्षित रखने वाली , तथा उसे अपने नेत्रो से फिरसे पुनः जीवन देने वाली जो शक्ति हैं , वह यही हैं । कामदेव के पाँच बाण और पाँच कामदेव के रूप में जो तेज है , वह इसी देवी के कारण उसे प्राप्त होता हैं। 1. कामराज ह्रीं 2. मन्मथ क्लीं 3. कंदर्प ऐं 4. मकरकेतन ब्लूम 5. मनोभव स्त्रीं ईस तरह से ये देवी की 5 शक्तियाँ 5 कामदेव के रूप हैं। जो पाँच बाण है , वह देवी के हाथों में हैं । यह 5 शक्तियां 1) तीव्र इच्छा काम वासना ई 2) पागलो की तरह पीछे लगने वाला स्वभाव 3) प्रज्वलित करना अथवा जल्स जलने वाला स्वभाव 4) मंत्रमुग्ध करना अथवा जादुई चीजो म...

रोगनाशक पिशाची देवी

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  पिशाची शब्द सुनते ही रोंगटे खड़े होने लगते हैं! ऐसा लगता है कि कोई लंबे दांतों वाली कोई डरावनी सी आकृति, कोई मांसाहारी या भूत प्रेत जैसी ही कोई शक्ति होगी! लेकिन वास्तव में पिशाची शक्ति हमारे भीतर की एक कुंडलिनी नाम की शक्ति की अधिष्ठात्री देवी है! हमारे जो सप्त चक्र शरीर में विद्यमान है; इन्ही सप्त चक्रों में एक हृदय चक्र है! इस हृदय चक्र की स्वामिनी ही पिशाची देवी है! जिसे महापिशाचिनी भी कहा गया है! अधिकांशतया हमारे जितने भी रोग हैं हमारे शरीर में जितने भी दोष है वो सब हमें पिशाचिनी शक्ति की वजह से ही लगते हैं। पिशाची शब्द की साधारण सी परिभाषा ये समझ सकते हैं कि, "किसी एक विषय अथवा वस्तु में हृदय का लगातार लगे रहना पिशाच वृत्ति है।"किसी एक विषय को जब हम इतना अधिक पसंद करने लग जाए कि अपना तन, मन, धन यहां तक कि अपना आत्मोत्सर्ग तक करने के लिए तैयार हो जाए तो ऐसी वृत्ति पैशाचिक वृत्ति कहलाती है! और हमारा मन पिशाच ही तो है! कभी धन के लिए, कभी नाम के लिए, कभी वैभव के लिए और भी न जाने कितने विषय वस्तुओं के लिए हम प्रयासरत रहते हैं और हमारा हृदय इस दुनिया से हटना ही नहीं चाहता! ...

महाविद्या स्तोत्र मुंडमाल तंत्र

 🙏🙏🙏🌹मुण्डमाला तंत्रोक्त महाविद्या स्तोत्र 🌹🙏🙏🙏 ऊँ नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्डमुण्डविनाशिनी। नमस्ते कालिके कालमहाभयविनाशिनि।। शिवे रक्ष जगद्धात्रि प्रसीद हरवल्लभे। प्रणमामि जगद्धात्रीं जगत्पालनकारिणीम्।। जगत् क्षोभकरीं विद्यां जगत्सृष्टिविधायिनीम्। करालां विकटां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम्।। हरार्चितां हराराध्यां नमामि हरवल्लभाम्। गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालंकारभूषिताम्।। हरिप्रियां महामायां नमामि ब्रह्मपूजिताम्। सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरगणैर्युताम्।। मन्त्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिंगशोभिताम्। प्रणमामि महामायां दुर्गां दुर्गतिनाशिनीम्। उग्रामुग्रमयीमुग्रतारामुग्रगणैर्युताम्। नीलां नीलघनश्यामां नमामि नीलसुन्दरीम्।।     श्यामांगी श्यामघटितां श्यामवर्णविभूषिताम्। प्रणमामि जगद्धात्रीं गौरीं सर्वार्थसाधिनीम्।। विश्वेश्वरीं महाघोरां विकटां घोरनादिनीम्। आद्यामाद्यगुरोराद्यामाद्यनाथप्रपूजिताम्।। श्री दुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम्। प्रणमामि जगद्धात्रीं चन्द्रशेखरवल्लभाम्।। त्रिपुरां सुन्दरीं बालामबलागणभूषिताम्। शिवदूतीं शिवाराध्यां शिवध्येयां सना...